आइए हम बात करते हैं कंप्यूटर की पीढ़ियों के बारे में –
कंप्यूटर की प्रथम पीढ़ी –

यूनिभेक 1 एक पहला वेबसाइट कंप्यूटर था इस कंप्यूटर का विकास सेना और वैज्ञानिकों के उपयोग के लिए किया गया था।
इसमें वेक्यूम ट्यूब या निर्वात ट्यूब का उपयोग किया गया था यह आकार में बहुत ही अधिक बड़ा होता था और यह बहुत ही अधिक ऊर्जा उत्पन्न करता था।
इसमें लैंग्वेज के रूप में मशीनी भाषा का उपयोग किया जाता था।
इसमें डाटा संग्रहण के लिए पंच कार्ड का उपयोग किया जाता था। इसमें निरवा ट्यूब का उपयोग किया जाता था जिसके कारण इसमें कुछ कमियां थी क्योंकि निर्वात ट्यूब को गर्म होने में बहुत ही अधिक समय लगता था तथा गर्म होने के बाद यह बहुत ही अत्याधिक मात्रा में ऊर्जा पैदा होती थी जिसको की ठंडा रखने के लिए बहुत ही वातानुकूलित यंत्र का उपयोग करना पड़ता था तथा इससे अधिक मात्रा में विद्युत खर्च होती थी।
कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी–

कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी में निर्वात ट्यूब की जगह केवल ट्रांजिस्टर का उपयोग किया गया। कंप्यूटर में डाटा को निरूपित करने के लिए मैग्नेटिक कोर का उपयोग किया गया था।
डाटा को एक जगह रखने के लिए मैग्नेटिक डिस्क तथा टैब का उपयोग किया गया था।
मैग्नेटिक डिस्क पर आयरन ऑक्साइड का लेप करके उस पर परत चढ़ा दी गई थी।
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों की गति स्पीड और एक एक सभी को एक करने की क्षमता भी बहुत अधिक थी।
कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी के दौरान व्यापार तथा उद्योग के साधनों में कंप्यूटर का प्रयोग प्रारंभ हो गया था।
कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी में भाषा के रूप में जिसे की प्रोग्रामिंग भाषा कहा जाता है cobal ओर fortran का उपयोग किया जाता था।
कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी
जैसे-जैसे कंप्यूटर का विकास आगे बढ़ता गया वैसे-वैसे कंप्यूटर की अनेक पीढ़ियां लगातार आने लगी इस प्रकार कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी का विकास हुआ जिसमें कि ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट मतलब की आईसी का उपयोग शुरू किया गया आईसी का निर्माण J.S Kilbi ने किया था।

RAM का प्रयोग होने से मैग्नेटिक टेप और जिसके एकत्र क्षमता में बहुत ही अधिक वृद्धि हुई। व्यक्तियों द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले कंप्यूटर में टाइम शेयरिंग का उद्भव हुआ।
जिसके द्वारा एक से अधिक यूजर या व्यक्ति एक साथ कंप्यूटर के सभी संसाधनों का उपयोग कर सकते थे इसके बाद कंप्यूटर के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर अलग-अलग पार्ट में मिलना प्रारंभ हुआ ताकि यूजर या उपभोक्ता को अपनी आवश्यकता के अनुसार सॉफ्टवेयर ले सके
कंप्यूटर की चौथी पीढ़ी-
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर में इंटीग्रेटेड सर्किट की जगह वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन very large scale integ ration का उपयोग किया जाने लगा।

इसमें एक चिप में लगभग लाखो चीजों को एकत्रित किया जाता था वीएलएसआई तकनीक के उपयोग से माइक्रोप्रोसेसर का निर्माण करना संभव हुआ जिससे कंप्यूटर के आकार में बहुत ही अधिक कमी आने लगी।
और कंप्यूटर की भंडारण करने की क्षमता का भी अद्भुत विकास हुआ।
और माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग भी केवल कंप्यूटर में ही नहीं किया गया बल्कि अन्य उत्पादों में भी माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग किया गया।
मैग्नेटिक डिस्क तथा टाइप के स्थान पर सेंबी कंडक्टर मेमोरी का उपयोग भी बहुत अधिक रूप से किया जाने लगा प्रेम की क्षमता में वृद्धि से हमारे समय की भी बहुत अधिक बचत होने लगी और कार्य अत्यंत तेजी से होने लगा।
इस दौरान जी यू आई ग्राफिकल यूजर इंटरफेस, माउस और अन्य डिवाइस के विकास से कंप्यूटर का उपयोग करना हमारे लिए बहुत ही अत्यंत सरल हो गया।
Ms-dos एमएस विंडोज और एप्पल में ऑपरेटिंग सिस्टम तथा सी लैंग्वेज का भी प्रयोग शुरू हो गया।
उच्च स्तरीय भाषा हाई लेवल लैंग्वेज का मानकीकरण किया गया ताकि प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर सभी कंप्यूटरों में आसानी से चलाया जा सके यानी कि वह एक प्लेटफार्म डिपेंड ना हो।
इस प्रकार आगे चलकर धीरे-धीरे इन सभी छोटे कंप्यूटरों और तेजी से चलने वाले कंप्यूटरों को जोड़कर नेटवर्क का निर्माण संभव हुआ जो कि आगे चलकर इंटरनेट के निर्माण में बहुत ही अधिक सहायक हुआ।
कंप्यूटर की पांचवी पीढ़ी –
कंप्यूटर की पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर में वीएलएसआई की जगह यू एल एस आई अल्ट्रा लार्ज स्केल इंटीग्रेशन का उपयोग किया गया जो कि एक चिप ही करोड़ों गणना कुछ ही समय में पूर्ण करने में सक्षम थी।

कंप्यूटर के सारे डेटा के संग्रहण के लिए सीडी कंपैक्ट डिस्क का भी विकास संभव हुआ।
और इस पि डी में बहुत ही छोटी साइज के कंप्यूटरों का निर्माण संभव हुआ था।
प्रोग्रामिंग करने की कठिनाई बहुत ही कम हो गई और कंप्यूटर की कृत्रिम क्षमता को बहुत ही अधिक विकसित करने की कोशिश की गई ताकि हमारी समस्या के अनुसार कंप्यूटर रिजल्ट दे सके।
पोर्टेबल पीसी और डेस्टोप पीसी ने कंप्यूटर के संसार में एक महत्वपूर्ण और शानदार रिजल्ट ला दिया और इसका उपयोग मनुष्य के संपूर्ण जीवन काल में होने लगा।
इस प्रकार हमने कंप्यूटर की संपूर्ण पीढ़ीयो के बारे में जानकारी प्राप्त की है।
आइए तो हम कंप्यूटर के बारे में अगली जानकारी साथ करते हैं –
अब हम बात करेंगे कि कंप्यूटर के कार्य के आधार पर उनका वर्गीकरण-
1 डिजिटल कंप्यूटर –
डिजिटल कंप्यूटर में गणितीय डांटा को इलेक्ट्रॉनिक डांटा के रूप में बदला जाता था जिसकी गणना जीरो या एक से सेट की जाती है।

डिजिटल कंप्यूटर का एक बहुत अच्छा उदाहरण आम आपको पेस करने जा रहे जैसे कि हमारे घर पर लगी हुई डिजिटल घड़ी।
डिजिटल कंप्यूटर की गति इतनी अधिक होती है कि वह करोडो डाटा के आंकड़ों के डाटा को कुछ ही समय में सुलझा देती हैं।
आज के समय में डिजिटल कंप्यूटर में बाइनरी सिस्टम का प्रयोग किया जाता है जो कि हमारे लिए एक महत्वपूर्ण है।
2 एनालॉग कंप्यूटर-
एनालॉग कंप्यूटर में बिजली के एनालॉग का रूप कार्य किया जाता है एनालॉग कंप्यूटर के कार्य करने की स्पीड बहुत ही धीमी में होती है।
यदि आपको एनालॉग कंप्यूटर का उदाहरण जाना है या उसको आपके सामने ही देखना है तो आइए हम बताते हैं एनालॉग कंप्यूटर का उदाहरण।
आपने आपके घरों में लगभग देखा ही होगा कि vault मीटर और बेरो मीटर होते हैं यह एक एनालॉग कंप्यूटर के ही उदाहरण है।
3 हाइब्रिड कंप्यूटर
हाइब्रिड कंप्यूटर डिजिटल कंप्यूटर और एनालॉग कंप्यूटर का एक मिला जुला ही रूप होता है।

हाइब्रिड कंप्यूटर के इनपुट आउटपुट एनालॉग कंप्यूटर के समान होते हैं।
हाइब्रिड कंप्यूटर में प्रोसेसिंग डिजिटल कंप्यूटर के समान होता है।
आपने और हमने मिलकर कार्य के आधार पर कंप्यूटर के प्रकार जान लिए तो आइए अब हम कंप्यूटर की साइज के आधार पर उसके प्रयोग जान ने की कोशिश करेंगे।
1 मेन फ्रेम कंप्यूटर –
मेन फ्रेम कंप्यूटर की एक मुख्य बात यह क्यों वह अंदर से स्मृति समता तथा सॉफ्टवेयर और पेरीफेरल समान को बहुत अधिक पकड़ से जोड़ा होता है।

मेन फ्रेम कंप्यूटर की कार्य करने की ताकत बहुत ज्यादा अधिक होती है।
मेन फ्रेम कंप्यूटर में एक समय में और एक की जगह पर एक साथ अनेक व्यक्ति इस पर कार्य कर सकते हैं।
मेन प्रेम कंप्यूटर का आविष्कार बेल प्रयोगशाला जर्मनी में किया गया था।
इसका प्रयोग बैंक अनुसंधान वर्षा के क्षेत्रों में बहुत अधिक ग्रुप में किया जाता है जो कि हमारे लिए बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण है।
2 मिनी कंप्यूटर-
मिनी कंप्यूटर आकार में मेन फ्रेम कंप्यूटर से बहुत अधिक छोटे होते हैं।
लेकिन मैंने कंप्यूटर की डाटा को सेव करने व इसकी स्पीड बहुत अधिक होती है
मिनी कंप्यूटर पर एक समय में अनेक व्यक्ति या लोग काम कर सकते हैं।
80386 सुपर चिप का उपयोग करने पर यह एक सुपर मिनी कंप्यूटर में बदल जाता है या इसको परिवर्तित कर दिया जाता है।
3 पर्सनल कंप्यूटर-
परसनल कंप्यूटर अपने आकार में बहुत अधिक छोटे होते हैं यह माइक्रो कंप्यूटर का ही दूसरे रूप में रुपांतरण किया हुआ कंप्यूटर है।

लेकिन इसके खास बात यह है कि इसमें एक समय में एक ही व्यक्ति कार्य कर सकता है।
हमारे द्वारा पर्सनल कंप्यूटर को नेटवर्क से भी जोड़ा जा सकता है।
भारत में जब पर्सनल कंप्यूटर का निर्माण किया गया था तब उसका नाम सिद्धार्थ रखा गया था।
भारत में जब खेल के लिए कंप्यूटर का निर्माण किया गया था तब उसका नाम पेक मेन रखा गया था।
पर्सनल कंप्यूटर का हमारे द्वारा उपयोग खेल में तथा हमारे घरों में किया जाता है।
4 माइक्रो कंप्यूटर-
माइक्रो कंप्यूटर में प्रोसेसर के रूप में माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग किया जाता था इसमें इनपुट के लिए कीबोर्ड तथा आउटपुट इसके लिए मॉनीटर का प्रयोग किया जाता था इसकी समता एक लाख सक्रिय बिल्कुल कम समय में गरना की जा सकती थी।
माइक्रो कंप्यूटर का प्रयोग हमारे द्वारा हमारी दुकानों में तथा हमारे घरों में और अस्पतालों में जरूरी कार्य में किया जाता है।
5 लैपटॉप –
लैपटॉप पर्सनल कंप्यूटर की तरह ही अपना वर्क करता है।
लैपटॉप पर्सनल कंप्यूटर की तरह बडा नहीं होता हम इसको कई पर भी लेकर जा सकते हैं और कहीं पर भी रख सकते हैं यह भारी नहीं होता है।
इसमें हम फ्रेंड ड्राइव लगा सकते हैं और इसमें हम बैटरी भी लगा सकते जिसे की हमें इसे बिजली के स्विच के लगाके नहीं रखना होगा।
लैपटॉप में हम wifi की तैयारी से इंटरनेट भी कनेक्ट कर सकते हैं।
6 पाम टॉप कंप्यूटर-
पामटॉम कंप्यूटर आकार में बहुत थी छोटा सा होता है जिसे हम अपने हाथ में भी पकड़ लेते हैं और हम इसे पीडी ए भी कहते हैं।
7 सुपर कंप्यूटर-
7 सुपर कंप्यूटर-
सुपर एक कंप्यूटर है जिसका की डांटा एकत्रित करने की कोशिश समता बहुत ही अधिक होती है।
सुपर कंप्यूटर की स्पीड बहुत अधिक तेज होती है।
यह सभी पीढ़ियों कितना में एक फास्ट कंप्यूटर होता है।
सुपर कंप्यूटर में हजारों की संख्या में माइक्रो प्रोफ़ेसर वैज्ञानिकों द्वारा लगाए गए थे।
यह संपूर्ण विश्व में अभी तक का सबसे शक्तिशाली वह सम्राट कंप्यूटर है।
पूरे विश्व में एकमात्र सुपर कंप्यूटर ही ऐसा कंप्यूटर है जिस का निर्माण संग 1964 में c d c द्वारा किया गया था।
1976 में cry 1 जो कि एक कंपनी द्वारा किया गया था।
अब बात करते हैं कि हमारे भारत में पहले सुपर कंप्यूटर का निर्माण कब किया गया था तो हमारे भारत में पहले सुपर कंप्यूटर का नाम परम सी dek कंप्यूटर है।
इस कंप्यूटर में प्रोसेसिंग बहुत भिन्न तरीकों से होती है जो कि बहुत जल्दी वह फास्ट होती है।
Computer software
(A) वर्चुअल मेमोरी (Virtual memory)- यह एक काल्पनिक स्मृति श्री क्षेत्र है जो ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा समर्थित है इसे हम मेमोरी एड्रेस का विकल्प भी मान सकते हैं जिसे प्रोग्राम निर्देश तथा डाटा संग्रहण के लिए उपयोग करता है वर्चुअल मेमोरी का उद्देश्य ऐड्रेस स्पेस को बढ़ाना है यह हार्ड डिस्क पर स्पेशल जिसे सीपीयू राम की तरह प्रयोग करता है इसे लॉजिकल मेमोरी भी कहा जाता है यह एक ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा नियंत्रित होता है।
(B) ट्रांसलेटर (Translator) –ट्रांसलेटर प्रोग्राम या निर्देशों की श्रंखला है जो प्रोग्रामिंग भाषा को मशीनी भाषा में रूपांतरित कर देता है यह तीन प्रकार का होता है।
(C) असेंबलर ( Assembler) –यह असेंबली भाषा में लिखे गए प्रोग्रामों को मशीनी भाषा में रूपांतरित करता है।
(D) कंपाइलर(Compiler) –कंपाइलर यह एक प्रोग्राम है जो उच्च स्तरीय भाषा में लिखे गए प्रोग्राम या स्रोत कोड को मशीनी भाषा या ऑब्जेक्ट प्रोग्राम में रूपांतरित करता है यह पूरे प्रोग्राम को एक बार में पड़ता है तथा सारी गलतियां को बताता है गलतियां दूर होने पर प्रोग्राम को मशीनी भाषा में रूपांतरित कर देता है कंपाइलिंग के फलस्वरूप प्रोग्राम का निर्माण होता है।
(E) इंटरप्रेटर(Interpreter) –यह उचित स्त्री प्रोग्रामिंग भाषा में दिए गए निर्देशों को निम्न स्तरीय मशीन भाषा में ट्रांसलेट करता है इंटरप्रेटर निर्देश को एक-एक कर ट्रांसलेट करता है एक निर्देश को ट्रांसलेट कर बिना संग्रहित किए क्रियान्वित करता है फिर तब दूसरे निर्देश को ट्रांसलेट करता है इस तरह जब सारा प्रोग्राम क्रियान्वित हो जाता है तो अंत में प्रक्रिया देता है।
(F) डिवाइस ड्राइवर(Device driver) – इसे सॉफ्टवेयर ड्राइवर भी कहते हैं यह एक कंप्यूटर प्रोग्राम है जो उच्च स्तरीय कंप्यूटर प्रोग्राम को हार्डवेयर डिवाइस के साथ संबंध स्थापित करने इंजेक्ट में सहायता करता है कंप्यूटर बसिया संसार सब सिस्टम जिससे ड्राइवर या हार्डवेयर जुड़ा रहता है के द्वारा डिवाइस ड्राइवर संबंध स्थापित करता है।
(2) अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर(Application software)– उपयोगिता के आधार पर अनुप्रयोग सब के दो प्रकार के होते हैं।
(A) विशेष अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर(Special application software) –विशेष अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर किसी विशेष कार्य को पूरा करने में सक्षम होता जैसे मौसम विज्ञान का कार्य हो वह नियंत्रण का कार्य हो टिकट आरक्षण का कार्य हो अधिकारियों के लिए विशेष अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है।
(B) सामान्य अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर(General function application software) – सामान्य अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर को अनेक उपयोगकर्ता उपयोग कर सकते हैं जब आवश्यकता बहुत सामान्य से होती है तब अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर भी प्रयोग किया जा सकता है।
कुछ सामान्य अनुप्रयोग पैकेज निम्नलिखित है जो हमारे द्वारा आपको प्रदान किए गए हैं।
(C) इलेक्ट्रॉनिक स्प्रेडशीट(Electronic spreadsheet)- इलेक्ट्रॉनिक स्प्रेडशीट स्क्रीन पर संख्या को टेबल के रूप में प्रकट करने में सक्षम होता तथा उसकी गणना कर सकता है उन संख्याओं को ग्राफ चार्ट के रूप में व्यक्त कर सकता है जैसे माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल लोटस 123k स्प्रेड ओपन केलक आदि।
(D) वर्ड प्रोसेसर(Word processor) – यह कंप्यूटर स्क्रीन पर दस्तावेज तैयार करने में सहायता करता है उस दस्तावेज को रूपांतरित संग्रह तथा प्रिंट किया जा सकता है जैसे वर्ल्ड स्टार वर्ल्ड पैड एमएस वर्ड के वर्ल्ड ओपन राइटर आदि।
(E) कंप्यूटर ग्राफिक्स(Computer graphics) – कंप्यूटर ग्राफिक्स को इस प्रोग्राम को डिजाइन करने ग्राहक बनाने और चाट बनाने द्वारा या संशोधित करने के लिए उपयोग में किया जाता है जैसे सीआईडी सीएम हार्ड वर्ड ग्राफ़िक्स इत्यादि।

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