(A )वर्चुअल मेमोरी(Virtual memory)
यह एक काल्पनिक स्मृति श्री क्षेत्र है जो ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा समर्थित है इसे हम मेमोरी एड्रेस का विकल्प भी मान सकते हैं जिसे प्रोग्राम निर्देश तथा डाटा संग्रहण के लिए उपयोग करता है वर्चुअल मेमोरी का उद्देश्य ऐड्रेस स्पेस को बढ़ाना है यह हार्ड डिस्क पर स्पेशल जिसे सीपीयू राम की तरह प्रयोग करता है इसे लॉजिकल मेमोरी भी कहा जाता है यह एक ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा नियंत्रित होता है।

(B ) ट्रांसलेटर(Translator)
ट्रांसलेटर प्रोग्राम या निर्देशों की श्रंखला है जो प्रोग्रामिंग भाषा को मशीनी भाषा में रूपांतरित कर देता है यह तीन प्रकार का होता है।
(C ) असेंबलरVirtual memory Assembler
यह असेंबली भाषा में लिखे गए प्रोग्रामों को मशीनी भाषा में रूपांतरित करता है।
(D) कंपाइलर(Compiler)
कंपाइलर यह एक प्रोग्राम है जो उच्च स्तरीय भाषा में लिखे गए प्रोग्राम या स्रोत कोड को मशीनी भाषा या ऑब्जेक्ट प्रोग्राम में रूपांतरित करता है यह पूरे प्रोग्राम को एक बार में पड़ता है तथा सारी गलतियां को बताता है गलतियां दूर होने पर प्रोग्राम को मशीनी भाषा में रूपांतरित कर देता है कंपाइलिंग के फलस्वरूप प्रोग्राम का निर्माण होता है।
(E) इंटरप्रेटर(Interpreter)
यह उचित स्त्री प्रोग्रामिंग भाषा में दिए गए निर्देशों को निम्न स्तरीय मशीन भाषा में ट्रांसलेट करता है इंटरप्रेटर निर्देश को एक-एक कर ट्रांसलेट करता है एक निर्देश को ट्रांसलेट कर बिना संग्रहित किए क्रियान्वित करता है फिर तब दूसरे निर्देश को ट्रांसलेट करता है इस तरह जब सारा प्रोग्राम क्रियान्वित हो जाता है तो अंत में प्रक्रिया देता है।

(F) डिवाइस ड्राइवर(Device driver)
इसे सॉफ्टवेयर ड्राइवर भी कहते हैं यह एक कंप्यूटर प्रोग्राम है जो उच्च स्तरीय कंप्यूटर प्रोग्राम को हार्डवेयर डिवाइस के साथ संबंध स्थापित करने इंजेक्ट में सहायता करता है कंप्यूटर बसिया संसार सब सिस्टम जिससे ड्राइवर या हार्डवेयर जुड़ा रहता है के द्वारा डिवाइस ड्राइवर संबंध स्थापित करता है।
(2) अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर(Application software)
उपयोगिता के आधार पर अनुप्रयोग सब के दो प्रकार के होते हैं।

(A) विशेष अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर(Special application software)
विशेष अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर किसी विशेष कार्य को पूरा करने में सक्षम होता जैसे मौसम विज्ञान का कार्य हो वह नियंत्रण का कार्य हो टिकट आरक्षण का कार्य हो अधिकारियों के लिए विशेष अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है।
(B) सामान्य अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर(General function application software)
सामान्य अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर को अनेक उपयोगकर्ता उपयोग कर सकते हैं जब आवश्यकता बहुत सामान्य से होती है तब अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर भी प्रयोग किया जा सकता है।
कुछ सामान्य अनुप्रयोग पैकेज निम्नलिखित है जो हमारे द्वारा आपको प्रदान किए गए हैं।
(C) इलेक्ट्रॉनिक स्प्रेडशीट(Electronic spreadsheet)
इलेक्ट्रॉनिक स्प्रेडशीट स्क्रीन पर संख्या को टेबल के रूप में प्रकट करने में सक्षम होता तथा उसकी गणना कर सकता है उन संख्याओं को ग्राफ चार्ट के रूप में व्यक्त कर सकता है जैसे माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल लोटस 123k स्प्रेड ओपन केलक आदि।
(D) वर्ड प्रोसेसर(Word processor)
यह कंप्यूटर स्क्रीन पर दस्तावेज तैयार करने में सहायता करता है उस दस्तावेज को रूपांतरित संग्रह तथा प्रिंट किया जा सकता है जैसे वर्ल्ड स्टार वर्ल्ड पैड एमएस वर्ड के वर्ल्ड ओपन राइटर आदि।
(E ) कंप्यूटर ग्राफिक्स(Computer graphics)
कंप्यूटर ग्राफिक्स को इस प्रोग्राम को डिजाइन करने ग्राहक बनाने और चाट बनाने द्वारा या संशोधित करने के लिए उपयोग में किया जाता है जैसे सीआईडी सीएम हार्ड वर्ड ग्राफ़िक्स इत्यादि।

(F ) डेस्कटॉप पब्लिशिंग(Desktop publishing)
कम कीमत पर अच्छी गुणवत्ता के साथ प्रकाशन के लिए डीटीपी सॉफ्टवेयर प्रयोग किया जाता है यह इनपुट वर्ड प्रोसेसर या सीधे डीपीटी सिस्टम से लेता है और इसे इलेक्ट्रॉनिक्स एक रुप से ग्राफिक्स जोड़कर भेज पूरा किया जाता है फिर उस रिजर्वेशन आउटपुट यंत्र से प्रिंट कर लिया जाता है जैसे पेजमेकर कोरल्ड्रॉ माइक्रोसॉफ्ट पब्लिशर इत्यादि।
(G) डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम या डेटाबेस सॉफ्टवेयर(Desktop publishingDatabase management system yah database software)
इस सिस्टम के अंतर्गत जो भी डाटा हम कंप्यूटर में इंस्टॉल करना चाहते हैं उसे इनपुट करने परिवर्तन करने करण वध करने तथा रिपोर्ट तैयार करने की सुविधा देता है यह डाटा का सुनिश्चित रिकॉर्ड रखने में सक्षम होता जैसे डीबीएस 5 एम एस एक्सेल आदि।
(H) रिपोर्ट जनरेटर (Report generatorReport)

रिपोर्ट जनरेटर डेटाबेस से डाटा लेकर प्रयोक्ता की आवश्यकता अनुसार विभिन्न तरह की रिपोर्ट तैयार करता है जैसे आरपीजी रिपोर्ट प्रोग्राम जनरेटर।
(I) अकाउंटिंग पैकेज(Accounting package)
इस प्रोग्राम के उपयोग से वित्तीय लेखांकन अकाउंटिंग जैसे बैंक खाते स्टॉक आय और व्यय का लेखा जोखा सरलता से होता है जैसे टेली
(J ) प्रस्तुति सॉफ्टवेयर(Presentation software)
इसका उपयोग शब्दों और चित्रों को सजाकर कहानी कहने सार्वजनिक प्रस्तुति या सूचना देने में होता है उदाहरण पावर पॉइंट फ्रीलांस पेज पेज मिल इत्यादि प्रसूति सॉफ्टवेयर को प्रस्तुति ग्राफिक्स भी कहते हैं।
(K) टंकी सिस्टम (Tanki system)
किसी विशेष अनुप्रयोग के लिए आवश्यक हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को टर्न की सिस्टम कहते हैं।

(L ) फ्रीवेयर(Freeware)
फ्री विवेक सॉफ्टवेयर है जिसे बिना मूल्य चुकाए इंटरनेट से फ्री डिजाइन डाउनलोड कर सकते हैं जैसे स्टेटस मैंने से चीन और गूगल टूल बार।
(3) यूटिलिटी सॉफ्टवेयर(Utility software)
यह एक छोटा सा सॉफ्टवेयर है जो ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य क्षमता में वृद्धि करता है यह विशेष रूप से कंप्यूटर हार्डवेयर ऑपरेटिंग सिस्टम ही अनुप्रयोग के प्रबंधन को एक साथ कार्य करने में सहायता करता है यूटिलिटी सॉफ्टवेयर एक कार्य कार्य का एक छोटा भाग पूरा करता है इसकी सहायता से कंप्यूटर का उपयोग करना और भी सरल हो गया है।

(A ) डिस्क फॉर्मेटिंग(Disk formatting)
यहां डिस्क या दूसरे भंडारण माध्यम को उपयोग करने के पहले ऑपरेटिंग सिस्टम के अनुकूल बनाने में सहायता करता है।
(B ) डिस्क क्लीनर(Disk cleaner)
यह हार्ड वीडियो दूसरे बंदर माध्यम को उपयोग करने के पहले ऑपरेटिंग सिस्टम के अनुकूल बनाने में सहायता करता है यह उपयोग करता है वह हार्डडिस्क बढ़ जाने पर आवश्यक या अनावश्यक प्रोग्राम को हटाने का निर्णय लेने में मदद करता है तथा हटाकर मेमोरी की क्षमता में वृद्धि करता है।
(C ) बैकअप प्रोग्राम(Breakup program)
यह सॉफ्टवेयर कंप्यूटर में स्टोर सारे सूचनाओं को कॉपी करके उचित जगह रखता है जिससे मेमोरी में कोई क्षति होने पर सूचनाओं को फिर से संग्रहित किया जा सकता है।
(D ) डिस्क कंप्रेशन(Disc compression)
यह सॉफ्टवेयर हार्ड डिस्क के सारे सूचनाओं को कंप्रेस कर देता है ताकि और सूचनाओं को इस में संग्रहित किया जा सके।

(E) वायरस स्कैनर(Virus scanner)
यह कंप्यूटर फाइल तथा फोल्डर के वायरस को निष्क्रिय करने के लिए स्कैन करता है इसे एंटीवायरस भी कहते हैं।
(F) डिस्क फ्रेगमेंटेशन(Disk fragmentation)
देश के फ्लैग मेंटेन से उपयोगकर्ता क कंप्यूटर के हार्ड डिस्क में फ्रेगमेंटेशन फाइलों को एक जगह जमा करने की प्रक्रिया है।
डिस्क्राइब मैन टेंशन एक टूल है जिसका उपयोग से हमारे कंप्यूटर के हार्ड डिस्क में डाटा को री रेंज करता है तथा फ्रेगमेंटेड फाइलों को रिवेंट करता है जिसके फुल करो हमारा कंप्यूटर अधिक सरलता से कार्य करने में सक्षम होता है।
(G) डीबगर(Digbar)
कंप्यूटर की भाषा में बाघ एक प्रोग्राम में गलती या कोडिंग एलोर है जिसके फलस्वरूप गलत परिणाम प्राप्त होता है किसी प्रोग्राम में गलती के ढूंढने तथा उसमें सुधार करने की प्रक्रिया को बुकिंग तथा जिस सॉफ्टवेयर के द्वारा इस प्रक्रिया को संपादित करते हैं उसे भगवान कहते हैं प्रोग्राम के लिखने के बाद सेट जोगिंग आरंभ हो जाता है तथा प्रोग्राम के पूर्ण होने पर आता सॉफ्टवेयर के या किसी एप्लीकेशन के बनने तक चलता रहता है सॉफ्टवेयर की रिलीज होने के बाद यदि कोई गलती प्राप्त होता है तब उस सॉफ्टवेयर के निर्माता के द्वारा सुधार के लिए एक छोटा सा ऑब्जेक्ट कोड रिलीज किया जाता है जिसे पेज कहते हैं पेज को इंटरनेट के माध्यम से फ्री ऑफ कॉस्ट ऑफ जाता है जिसे डाउनलोड कर को फिक्स करता है।
(H) डिस्क इंक्रिप्शन(Disk encryption)
डिस्क इंक्रिप्शन एक सुरक्षा प्रौद्योगिकी है जिसमें डेटा को डिस्क में संगठित करने के पूर्व अग्रेबल कोर्ट में परिवर्तित कर दिया जाता है जिसके फलस्वरूप डाटा का अनु अर्थराइज प्रयोग नहीं कर पाता फुल डिस्क इंक्रिप्शन या डिस्क इंक्रिप्शन यह बताता है कि मास्टर वोट रिकॉर्डर को छोड़कर डिश में संग्रहित पूर्ण टाटा इंक्रिप्टेड है।
(I ) प्रोग्राम डॉक्यूमेंटेशन(Program documentation)
प्रोग्राम डॉक्यूमेंटेशन किसी प्रोग्राम का विस्तृत लिखित विवरण देता है प्रोग्राम कैसे लिखा गया है प्रोग्राम का टेस्ट रिजल्ट क्या होगा या बाद में प्रोग्राम के विकास या मेंटेन में क्या बात है या क्षमता है यह सभी प्रोग्राम डॉक्यूमेंट सेंड में लिखित रूप से रहता है प्रोग्राम डॉक्यूमेंट सेंड का सावधान सावधान प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट का इंटरेक्शन मैन्युअल है जो एंड यूजर को प्रदान किया जाता है।

(J) फेच एग्जीक्यूट चक्र(Fetch execute circle)
डाटा तथा उसके ऊपर कार्य करने वाले प्रोग्राम सर्वप्रथम ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा रैम में लोड होते हैं तत्पश्चात सीपीयू उन डेटा का उपयोग करता है।
(K ) फेच grace
सर्वप्रथम सीपीयू रैम से डाटा 14 प्रोग्राम भेज कर अपने इंटरनल मेमोरी एरिया में संग्रहित करता है।
(L ) डिकॉड(Decode)
इस प्रक्रिया में सीपीयू प्राप्त निर्देशों को रिकॉर्ड करता है तथा पता करता है कि उस पर आप लेटर के ऊपर क्या निर्देश देना है।
(M ) एग्जिकट(Decode)
इस प्रक्रिया में वास्तविक रुप से डाटा का प्रोसेस दिए गए निर्देशों के अनुरूप होता है जिसके फलस्वरूप परिणाम दूसरे रजिस्टर में संग्रहित रहता है।
आइए अब हम बात करेंगे कि इंटरनेट क्या होता है और यह कैसे कार्य करता है।
इंटरनेट( Internet)

इंटरनेट का पूरा नाम इंटरनेशनल नेटवर्क है यह आपस में एक दूसरे से जुड़े कंप्यूटर नेटवर्क की एक ग्लोबल सरचना है यह आईपी प्रोटोकोल का उपयोग करते हैं डाटा को पैकेट स्विचिंग के द्वारा आदान प्रदान करता है यह नेटवर्क ओं का नेटवर्क है जो लाखों पब्लिक और प्राइवेट शैक्षणिक औद्योगिक तथा सरकारीनेटवर्क ओ को सारे विषय में विस्तार करता है यह आपस में तांबे के तारों फाइबर ऑप्टिकल केबल वायरलेस कनेक्शन तथा दूसरे तकनीकों से जुड़े हैं विश्व के लगभग सारे नेटवर्क इंटरनेट से जुड़े हैं इंटरनेट कंप्यूटर पर आधारित अंतर अंतर्राष्ट्रीय सूचनाओं का तंत्र है इसे सूचना राजपथ भी कहते हैं।
इंटरनेट विभिन्न सूचना संसाधनों और सेवाओं जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक मेल ऑनलाइन चैट ऑनलाइन बैंकिंग फाइल ट्रांसफर और शेयरिंग ऑनलाइन गेमिंग इंटरलिंक्ड हाइपरटेक्स्ट दस्तावेज एवं वर्ल्ड वाइड वेब इत्यादि को वहन करती है।
किसी कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ने के लिए हमें इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर की सर्विस सेवा लेनी होती है तत्पश्चात टेलीफोन लाइन के माध्यम से कंप्यूटर को इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के सर्वर से जोड़ा जाता है।
भारत में इंटरनेट सेवा का आरंभ 15 अगस्त 1995 में विदेश संचार निगम लिमिटेड द्वारा आरंभ किया गया था भारत में लोकप्रिय इंटरनेट सेवा प्रदाता बीएसएनल विदेश संचार निगम लिमिटेड बीएसएनल भारत संचार निगम लिमिटेड
एमटीएनएल महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड मंत्रा ऑनलाइन तथा सत्यम ऑनलाइन इत्यादि है इन कंपनियों का भारत के अनेक शहरों में डीएनए डोमेन नेम सिस्टम सर्वर है डोमेन डोमेन सिस्टम सर्वर एक कंप्यूटर है जो दूसरे कंप्यूटर के डोमेन नाम को आईपी इंटरनेट प्रोटोकोल एड्रेस में अनुवाद करता है वर्तमान समय में बीएसएनएल द्वारा दो माध्यमों में इंटरनेट की सेवा उपलब्ध कराई जाती है।
इंटरनेट के आवश्यक घटक(Equipments required of internet)
इंटरनेट का उपयोग करने के लिए निम्नलिखित उपकरण होनी चाहिए।
(A) पर्सनल कंप्यूटर personal computer
(B )मॉडेम modem
(C) संचार माध्यम
(D) इंटरनेट सॉफ्टवेयर या यूसी ब्राउजर
E इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर
(A) पर्सनल कंप्यूटर(Personal computer)
हमने अपने पिछले वाले बागों में पर्सनल कंप्यूटर के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर ली है तो इसके बारे में हम यहां पर ज्यादा जानकारी नहीं करेंगे पर्सनल कंप्यूटर एक ऐसा एक कंप्यूटर होता है पर्सनल कंप्यूटर व्यक्तिगत उपयोग के लिए छोटा अपेक्षाकृत कम खर्चीला डिजाइन किया गया कंप्यूटर है यह माइक्रो प्रोसेसर प्रौद्योगिकी पर आधारित है कंप्यूटर निर्माताओं को एक चिप का पूरा सीपीयू डालने में सक्षम बनाता है व्यापार में इसका उपयोग संसाधन लेखांकन डेक्सटॉप प्रकाशन स्प्रेडशीट द डाटा बेस प्रबंधन आदि के लिए होता है हर घर में प्रश्न कंप्यूटर का उपयोग मनोरंजन के लिए ईमेल देखने के लिए तो छोटे-छोटे दस्तावेज तैयार करने के लिए होता है प्रश्न कंप्यूटर का विकास भी इसी प्रकार हुआ पर्सनल कंप्यूटर का निर्माण सबसे पहले 1970 के दशक में दिखाई दिया 1970 में माइक्रो प्रोसेसर के विकास का विकास किया सर्वप्रथम सन 1977 में एप्पल कंपनी द्वारा लाया गया 1981 में आईबीएम इंटरनेशनल बिजनेस सर्वाधिक था।

(B) मॉडेम(Modem)
जब इंटरनेट को टेलीफोन लाइन के माध्यम से कनेक्ट करते हैं तो मॉडेम की आवश्यकता होती है यह कंप्यूटर में चल रहे इंटरनेट ब्राउज़र और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के बीच आवश्यक लिंक है टेलीफोन लाइन पर एनालॉग सिग्नल भेजा जाता है जबकि कंप्यूटर जी डिजिटल सिग्नल देता है अतः इन दोनों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए मॉडेम की आवश्यकता होती है जो डिजिटल सिग्नल को एनालॉग में तथा एनालॉग टो डिजिटल सिग्नल में रूपांतरित करता है यह मॉडल लेटर डीएम ऑर्डर लेटर का संक्षिप्त रूप है मॉडेम के दोनों और कंप्यूटर और टेलीफोन लाइन जुड़ा होना आवश्यक है मॉडेम के स्पीड को बीपीएस बिट्स पर सेकंड में मापते हैं उपलब्ध स्पीड 9600 बीपीएस 8800 बीपीएस 33600 बीपीएस है इंटरनेट से जुड़ने की स्पीड टेलीफोन सर्विस पर निर्भर करती है आजकल टेलीफोन सेवा जो आईएसडीएन उपयोग करता है 128kb प्रश्न दिया इससे उसकी प्रमोद हमको इंटरनेट जोड़ने में सक्षम होता है अतः ऐसी डिवाइसेज डाटा को पल्स में परिवर्तित करता है तथा टेलीफोन लाइन पर संप्रेषित करता है।