डेजी व्हील प्रिंटर –
यह भी एक कंप्यूटर में उपयोग किया जाने वाला एक प्रिंटर है।
इसमें प्रिंटहेड की जगह डे जी व्हील लगा होता है जो कि या तो प्लास्टिक से निर्मित होता है या धातु से बना होता है।इस व्हील के बाहरी छोर पर अक्सर बना होता है।
एक अक्षर को छापने के लिए डिस्को घुमाना पड़ता है जब तक कि पेपर तथा अक्षर सामने आ जाए।
तब वह हैमर व्हील पर चोट करता है तो कागज पर एक अक्षर पेंट होता है। लेकिन डेजी व्हील प्रिंटर से ग्रह पर चित्र प्रिंट नहीं किया जा सकता और यह शोर करनेेे वाला वह धीमीी छपाई करता है।
नॉन इंपैक्ट प्रिंटर –
नॉन इंपैक्ट प्रिंटर ध्वनि उत्पन्न नहीं करता है क्योंकि इसके अंदर प्रिंटिंग हेड कागज पर चोट नहीं करता है।नॉन इंपैक्ट प्रिंटर भी कई प्रकार के होते हैं।
।इंकजेट प्रिंटर-
इंकजेट प्रिंटर नॉन इंपैक्ट प्रिंटर का ही एक भाग होता है।
यह इंकजेट तकनीक पर आधारित कार्य को पूर्ण करता है।
इंकजेट प्रिंटर भी दो प्रकार के होते हैं।मोनो इंकजेट प्रिंटर वह रंगीन इंकजेट प्रिंटरइंकजेट प्रिंटर में सयाही के लिए कार्करिज़ cartridge लगाया जाता है।
स्याही को जेट की सहायता से छिड़ककर कैरेक्टर तथा चित्र प्राप्त होता है।
इसकी गुणवत्ता तथा स्पीड दोनों ही बहुत कम होती है तथा इसमें प्रिंटिंग का खर्चा भी ज्यादा आता है।
लेजर प्रिंटर
लेजर प्रिंटर तीव्र गति से पेज को प्रिंट करता है।
लेजर प्रिंटर बीम की सहायता से ड्रम पर आकृति बनाता है।
लेजर ड्रम पर डालने के फूल स्वरूप की विद्युत चार्ज हो जाता है।
तब ड्रम को टनर में लुट गया जाता है।
जिससे टोनर ड्रम के चार्ज भागों पर लग जाता है।
इससे ताप का संयोजन दबाव से संयोजित कर कागज पर स्थानांतरित कर दिया जाता है जिससे हमें प्रिंट प्राप्त होता है।
लेजर प्रिंटर थर्मल तकनीक पर आधारित होकर कार्य करता है।
लेजर प्रिंटर भी दो तरह के होते हैं।
मोनो लेजर प्रिंटर और रंगीन लेजर प्रिंटर
लेजर प्रिंटर की गुणवत्ता और स्पीड प्रिंटर की स्पीड अन्य प्रिंटर की तुलना में बहुत ही अधिक होती है।
थर्मल प्रिंटर
थर्मल प्रिंटर में थर्मोक्रोमिक कागज का उपयोग किया जाता है।
जब कागज थर्मल प्रिंटर हेड से गुजरता है तो कागज के ऊपर स्थित लैब उस जगह काला हो जाता है जहां वह गर्म होता है तथा हमें प्रिंट प्राप्त होता है यह डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की तुलना में तीव्र तथा ध्वनि रहित होता है इसमें प्रिंट की गुणवत्ता अच्छी होती है।
(3) स्पीकर
स्पीकर को भी आउटपुट की संज्ञा दी गई है जिसका उपयोग हम अक्सर मनोरंजन के लिए करते हैं।
स्पीकर हमें धोनी के रूप में आउटपुट प्रदान करता है।
स्पीकर के लिए सीपीयू में साउंड कार्ड का होना बहुत ही जरूरी होता है और इसका प्रयोग हम प्राय संगीत या किसी तरह की ध्वनि को सुनने में किए जाते हैं।
(4) प्लॉटर
प्लॉटर अभी एक तरह का आउटपुट यूनिट है।
प्लांटर आउटपुट यूनिट का उपयोग हम किसी ग्राहक को प्राप्त करने के लिए करते हैं।इसका उपयोग इंजीनियर चिकित्सा वास्तु विद सिटी प्लान आदि में हमारे द्वारा मुख्य रूप से किया जाता है।यह ग्राफ व रेखाचित्र जैसे आउटपुट हमें प्रदान करता है।
(5) स्क्रीन इमेज प्रोजेक्टर
यह एक हार्डवेयर डिवाइस है जो बड़े परदे ही परदे पर चित्रों को दिखाता है इसका उपयोग प्रस्तुतियों और बैठकों में किया जाता है जो एक बड़ी छवि के रूप में हमें दिखाया जाता है जिसे हम बड़े हॉल में बैठकर हर कोई देख सकते हैं।इनपुट तथा आउटपुट डिवाइस के अलावा कुछ और भी ऐसे डिवाइस है जो कि इनपुट तथा आउटपुट डिवाइस दोनों का ही कार्य करते हैं।
(1)मॉडेम
मॉडेम एक प्रकार की आउटपुट और इनपुट डिवाइस होती है जो कि इससे हमें डाटा प्राप्त भी होता है और इसे हम डाटा को प्रेषित भी कर सकते हैं।
(2) टच स्क्रीन
टच स्क्रीन भी एक आउटपुट और इनपुट यूनिट होती है।यह आउटपुट डिवाइस की तरह स्क्रीन पर इमेज या आउटपुट दिखाता है।
इनपुट डिवाइस किधर है स्क्रीन पर ऑब्जेक्ट के साथ इंटरेक्ट करने की अनुमति देता है।
(3) हैंडसेट – हैंडसेट में स्पीकर और माइक्रोफोन दोनों ही होते हैं और हमें यह इनपुट व आउटपुट डिवाइस दोनों के रूप में कार्य प्रदान करता है।
(4) फैक्स FAX- फैक्स हमें आउटपुट और इनपुट कार्य प्रदान करता है।
फैक्स मैं डॉक्यूमेंट को स्कैन करने के लिए स्केनर और डॉक्यूमेंट को प्रिंटर करने के लिए प्रिंट होता है इसके अलावा एक स्थान से दूसरे स्थान पर फैक्स भेजने के लिए टेलीफोन लाइन मॉडेम तथा कंप्यूटर की आवश्यकता होती है।
मेमोरी –
मेमोरी कंप्यूटर का एक बुनियादी घटक है।यह कंप्यूटर का आरंभिक भंडारण क्षेत्र होता है।केंद्रीय प्रोसेसिंग इकाई सीपीयू को प्रोसेस करने के लिए इनपुट डाटा एवं निर्देश चाहिए जो कि मेमोरी में इकट्ठा रहता है।मेमोरी में ही संग्रहित डाटा तथा निर्देशों का प्रोसेस होता रहता है तोत हमें आउटपुट प्राप्त होता है।इसलिए कहा गया है कि मेमोरी कंप्यूटर का एक महत्वपूर्ण भाग होता है।
डाटा प्रतिनिधित्व Data Representation-
मेमोरी बहुत सारे सेल में बटी होती है। जिन्हें हम लोकेशन कहते हैं। हर लोकेशन का एक अलग लेवल होता है जिसे एड्रेस कहते हैं।सेल का उपयोग डाटा और निर्देशों के संग्रहण में होता है। सारे डेटा और निर्देश कंप्यूटर में एक बाइनरी कोड के रूप में रहते हैं जिसे जीरो तथा एक से हमारे द्वारा लिखा जाता है।
हम जैसे ही सर्किट उनकी स्थिति को दर्शाता है तो जीरो सर्किट के ऑफ स्थिति को दर्शाता है। लोकेशन में डाटा संग्रहण करने को लिखना तथा लोकेशन से डाटा प्राप्त करने को पढ़ना कहते हैं प्रत्येक लोकेशन में निश्चित स्टोर की जाती है जिसे एक वर्ल्ड लेंगे कहते हैं बीते बाइनरी डिजिट की सबसे छोटी इकाई होती है बाइट डाटा की एक इकाई है जो कि 8 वित्त तथा एसी में 7 बिट के समूह है।
मेमोरी के प्रकार
मेमोरी अक्सर सेमीकंडक्टर स्टोरेज जैसे रैम और कभी कभी दूसरे तीव्र तथा अस्थाई रूप से हमारे द्वारा जाना जाता है।मेमोरी शब्द चिप के रूप में प्रयोग होने वाले डाटा स्टोरेज को इंगित करता है।परंतु स्टोरेज सामान्यतः उपयोग होने वाले स्टोरेज डिवाइस जैसे ऑप्टिकल डिस्क तथा हार्ड डिस्क इत्यादि मेमोरी और स्टोरेज मूल्य विश्वसनीयता तथा गति आदि घटकों पर एक दूसरे से बहुत ही अलग होते हैं।
सेमीकंडक्टर या प्राथमिक या मुख्य मेमोरी या आंतरिक मेमोरी(Semiconductor aur primary aur main memory aur internal memory)प्राथमिक मेमोरी को अक्सर मुख्य मेमोरी भी हमारे द्वारा कहा जाता है।जो कंप्यूटर के अंदर ही रहती है तथा डाटा और निर्देशों का सीपीयू के द्वारा तीव्र तथा प्रत्यक्ष उपयोग होता है।
(1) रोम ROM
रोम को हमारे द्वारा रीड ओनली मेमोरी कहा जाता है यह एक ऐसी मेमोरी होती है जिसमें इकट्ठा डाटा किया निर्देश को केवल पड़ा ही जा सकता है उसे नष्ट या परिवर्तित नहीं किया जा सकता यह एक ही स्थाई मेमोरी होती है जिसका उपयोग कंप्यूटर में डाटा को स्थाई रूप से रखने में किया जाता है।रोम मदरबोर्ड के उपस्थित एक सिलीकान चिप है जिसके निर्माण के समय ही निर्देशों को इस में संग्रहीत कर दिया जाता है।कंप्यूटर को स्विच ऑन करने पर फ्रॉम में संग्रहित प्रोग्राम आप ही चल जाते हैं।कंप्यूटर को स्विच ऑफ करने के बाद भी रूम में संग्रहित डाटा कभी भी नष्ट नहीं होता है।रोम में उपस्थित यह स्थाई प्रोग्राम बॉयोस के नाम से जाना जाता है जिसे बेसिक इनपुट आउटपुट सिस्टम कहते हैं।
(2) प्रोम prom
इसका पूरा नाम प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी है।इसका पूरा नाम प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी है।
(3) ई प्रोम
इसका पूरा नाम इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी है।यह भी प्रोम की तरह स्थाई मेमोरी होती है।
परंतु भरने की प्रक्रिया पराबैंगनी किरणों की सहायता से दोबारा दोहराई जा सकती है इसे पराबैंगनी ई प्राम भी कहते हैं।रीड ओनली मेमोरी में प्रोग्राम या डाटा इंस्टॉल रहता है।रोम, फ्रॉम , ई फ्रॉम जिसमें डेटा यह प्रोग्राम संग्रहित रहते हैं वह एक फर्मवेयर है।
(4) ई ई रोम E E ROM
का पूरा नाम इलेक्ट्रिक इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी है।ई प्रोम की तरह स्थाई मेमोरी है पर तुम बर्निंग प्रक्रिया विद्युत प्लस की सहायता से फिर भी की जा सकती है।
5 कैश मेमोरी
यह केंद्रीय प्रोसेसिंग इकाई सीपीओ तथा मुख्य मेमोरी के बीच का एक भाग होता है जिसका उपयोग बार-बार उपयोग में आने वाले डाटा और निर्देशों को संग्रहित करने में किया जाता है।थे मेमोरी तथा माइक्रो प्रोफेसर के बीच का गति अवरोधक दूर हो जाता है क्योंकि मेमोरी से डाटा पढ़ने की गति सीपीयू के प्रोसेस करने की गति से काफी धीरे होती है यह तीव्र , महंगा और अपेक्षाकृत छोटा स्टोरेज फॉर्म है।
(6) रैम RAM
पूरा नाम रेंडम एक्सेस मेमोरी है।यह कंप्यूटर में उपयोग में आने वाली सबसे ज्यादा मेमोरी है यह एक स्थाई मेमोरी नहीं है।
मेरा मतलब है कि जब कंप्यूटर में अगर हम विद्युत सप्लाई बंद कर देते हैं तो इसमें संग्रहित डाटा व सभी सूचनाएं भी खत्म हो जाती है जैसा कि नाम से ही लगता है रेंडम एक्सेस मेमोरी मतलब कि कहीं से भी डाटा को पढ़ा जा सकता है उसके लिए क्रमबद्ध पढ़ना आवश्यक नहीं है इससे डाटा को पढ़ना और लिखना तीव्र गति से होता है।रैम एक स्पेस है जहां डाटा लोड होता है और काम करता है।
रैम मुख्यतः दो प्रकार की होती है
डायनामिक रैम – डायनामिक रैम के डाटा को बार-बार रिफ्रेश करना होता है तथा यह स्टैटिक रैम की तुलना में काफी कम महंगा होता है।
स्टैटिक रैम – इसमें डाटा को बार-बार रिफ्रेश करने की आवश्यकता नहीं होती है।यह रैम डायनामिक रैम की तुलना में काफी तेज होती है।
द्वितीयक मेमोरी
इसे सहायक या बैंकिंग स्टोरेज मेमोरी भी कहते हैं क्योंकि यह मेमोरी आई स्थाई तथा सीमित क्षमता वाली होती है इसलिए द्वितीयक मेमोरी को बड़ी मात्रा में स्थाई डाटा मेमोरी के रूप में इस्तेमाल करते हैं ज्यादातर इसका उपयोग डाटा बैकअप के लिए होता है।केंद्रीय प्रोसेसिंग इकाई सीपीयू को वर्तमान में जिस डाटा की आवश्यकता नहीं है उसे दितीय मेमोरी में हमारे द्वारा डाल दिया जाता है और जरूरत पड़ने पर उसे मुख्य मेमोरी में कॉपी कर लिया जाता है आजकल इसका उपयोग होने वाले मैग्नेटिक टेप तथा डिस्क इसके मुख्य उदाहरण है।
हार्ड डिस्क
हार्ड डिस्क सीपीयू के अंतर्गत डाटा स्टोरेज करने की प्रमुख डिवाइस होती है यह दूसरे डिस्क की तुलना में उच्च संग्रहण क्षमता और हमें तीव्र गति प्रदान करती है क्योंकि यह डिस्क एक बॉक्स के अंदर रीड द राइट हैंड के साथ सील रहता है और यह वातावरण तथा क्रोध से भी सुरक्षित रहता है।रीड सर राइट हैंड डिस के किसी भी ट्रैक के किसी भी सेक्टर पर सीधे पढ़ता था लिख सकता है।
जिससे डाटा को पढ़ना या लिखना हमारे द्वारा तेज गति से हो जाता है कंप्यूटर में अक्सर इसे सी ड्राइव नाम दिया जाता है।
कंप्यूटर के अंतर्गत इसी हार्ड डिस्क में सभी प्रोग्राम या डाटा इंस्टॉल रहता है जिसका उपयोग हम अपनी जरूरत के हिसाब से कर सकते हैं।हार्ड डिस्क 10GB, 20gb, 40gb, 80gb आदि क्षमता में हमें उपलब्ध रहते हैं डिस्क को ट्रैक तथा सेक्टर में विभाजित किया जाता है इसे फॉर्मेटिंग कहते हैं।
फ्लॉपी डिस्क
यह मुख्यतः तीन आकार 8 इंच 2 पॉइंट 25 इंच और 3 पॉइंट 5 इंच में आता हैधूल या खरोच से बचाने के लिए डिस्क प्लास्टिक के कवर में बंद रहता है।डाटा को पढ़ने लिखने के लिए कवर के ऊपर बने छेद का उपयोग किया जाता है ज्यादातर डिस्क ड्राइव में रीड राइट हैंड इसके 27 से अधिक संपर्क में होते हैं जो पढ़ने तथा लिखने के बाद हट जाते हैं जिससे फल स्वरुप को कोई नुकसान नहीं होता इसमें डाटा वार्ताकार ट्रैक पर लिखा जाता है यह एक बाहरी या एक्सटर्नल मेमोरी होती है।फ्लॉपी डिस्क का डायरेक्ट एक्सेस माध्यम के रूप में ज्यादा कार्य उपयोग किया जाता है।
मैग्नेटिक टेप – यह सबसे सफल बैंकिंग स्टोरेज माध्यम है वास्तव में हम लोग संगीत के संग्रहण तथा रिकॉर्डिंग के लिए जो कैसेट उपयोग करते हैं यह मैग्नेटिक टेप के सिद्धांत पर कार्य करती है।
मैग्नेटिक टेप 2400 से 3600 फीट लंबा तथा पॉलिस्टर का बना होता है इसे रीड में लपेटा जाता है।पंच कार्ड तथा पेपर टेप की तुलना में इसमें विशाल डाटा संग्रहण किया जा सकता है टेप में डाटा को कितनी बार भी लिखा और मिटाया जा सकता है और इसमें परिवर्तन भी किया जा सकता है।इसके लिए हमें मैग्नेटिक टेप ड्राइव की आवश्यकता होती है सभी मैग्नेटिक टेप ड्राइव में दो रेल होते हैं एक रियल के टेप जो पढ़ने या लिखने में उपयोग आता है फाइल रेल चलाता है तथा दूसरा टेक अप कहलाता है।